रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहें, जानिए उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बाते!

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रतन टाटा, एक ऐसा नाम जो सिर्फ एक बिज़नसमैन नहीं, बल्कि एक लेगेसी है। अब जब वो हमारे बीच नहीं रहे, तो उनकी कमी हर एक भारतीय को महसूस होगी। बुधवार को, 86 साल की उम्र में, मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका देहांत हो गया। ये खबर सुनकर देशभर के लोग सदमे में हैं। टाटा ग्रुप के ऑनरेरी चेयरमैन के रूप में उन्होंने जो इमारत खड़ी की, वो सिर्फ एक कंपनी नहीं थी, बल्कि एक सपना था, जो हर भारतीय के सपने को भी अपना बनाता था।

Ratan tata has passed away toady
Ratan tata has passed away toady

गुरुवार का दिन अब टाटा ग्रुप के लिए एक नई शुरुआत का संकेत बन गया है। टाटा ग्रुप की बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाइटन और ट्रेंट लिमिटेड का नाम सिर्फ स्टॉक मार्केट के लिए नहीं, बल्कि हर निवेशक के दिल में एक खास जगह बनाता है। रतन टाटा के जाने के बाद, अब निवेशक समुदाय में एक छोटी सी घबराहट है कि टाटा ग्रुप का अगला कदम क्या होगा। सब लोग इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि टाटा ग्रुप का सक्सेशन प्लान क्या होगा। आखिर, जो इमारत रतन टाटा ने खड़ी की थी, वो अब किसके हाथों में जाएगी?

विजयकुमार, जो एक चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट हैं, उन्होंने एक इंटरेस्टिंग ऑब्जर्वेशन दिया। वो कहते हैं, “टाटा साम्राज्य की ग्रोथ से स्टॉक निवेशकों को एक इम्पोर्टेन्ट लेसन मिलता है कि लॉन्ग टर्म में कैसे कैपिटल मार्केट से फायदा उठाया जा सकता है।” ये बात सच भी है। टाटा ग्रुप की कंपनियों का ट्रैक रिकॉर्ड सबके सामने है। चाहे टाटा स्टील हो या टीसीएस, उन्होंने हमेशा लॉन्ग-टर्म ग्रोथ और स्टेबल रिटर्न्स दिए हैं।

अब, जब मार्केट बुलिश मोड में है, वैल्यूएशन की चिंताएं तो हमेशा रहती हैं। लेकिन रतन टाटा ने जो “ग्रेट कंपनियां” बनाई हैं, वो निवेशकों को लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न देने वाली हैं। ये जो डर और अनिश्चितता मार्केट में फिलहाल है, वो सिर्फ टेम्पररी है। रतन टाटा के विजन ने टाटा ग्रुप को सिर्फ एक प्रॉफिट-मेकिंग ऑर्गनाइजेशन नहीं बनाया, बल्कि एक एथिकल और सोशल्ली रिस्पॉन्सिबल ऑर्गनाइजेशन भी बनाया। उन्होंने हमेशा देश के विकास को अपनी कंपनियों के विकास से पहले रखा।

जब बात रतन टाटा की होती है, तो सिर्फ नंबर्स और स्टॉक वैल्यूएशन की बात नहीं होती। उनका एक अलग नज़रिया था बिज़नेस करने का। एक ऐसी सोच, जो प्रॉफिट से ज़्यादा लोगों के बेहतर जीवन के लिए थी। उन्होंने कभी सिर्फ शेयरहोल्डर्स के लिए काम नहीं किया, बल्कि उन्होंने हमेशा स्टेकहोल्डर अप्रोच को अपनाया। यानी, वो हर उस इंसान के बारे में सोचते थे जो किसी न किसी तरीके से उनकी कंपनी से जुड़ा था। चाहे वो एक टाटा मोटर्स का वर्कर हो, या टाइटन की घड़ी खरीदने वाला ग्राहक।

उन्होंने एविएशन से लेकर आईटी तक, कई सेक्टर्स में अपना दबदबा बनाया। लेकिन एक चीज़ जो सबसे ज़्यादा इम्पैक्टफुल थी वो थी उनका परोपकारी विजन। उनके नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट्स ने कई चैरिटेबल और सोशल वेलफेयर प्रोजेक्ट्स किए, जो सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनिया भर में मशहूर हुए।

रतन टाटा का विजन सिंपल था: देश का विकास उनकी कंपनियों के विकास से जुड़ा हो। उन्होंने हमेशा क्वालिटी और एथिक्स को इम्पोर्टेंस दी। आज टाटा का हर प्रोडक्ट इस बात की गारंटी लेता है कि वो क्वालिटी और कस्टमर सैटिस्फैक्शन के मामले में बेस्ट होगा। टाटा साल्ट हो या टाटा मोटर्स की एसयूवी, हर जगह क्वालिटी और ट्रस्ट दिखाई देती है। ये सब सिर्फ एक बिज़नसमैन के विजन का नतीजा नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान का काम है जो हमेशा अपने देश के बेहतर कल के लिए काम करता रहा।

जब उन्होंने टाटा मोटर्स के नैनो प्रोजेक्ट का अनाउंसमेंट किया था, तो उनका सपना था कि हर मिडिल-क्लास परिवार के पास अपनी एक कार हो। चाहे नैनो ने मार्केट में वो सफलता नहीं देखी जो उम्मीद थी, लेकिन उनका सपना और उनकी कोशिश हमेशा याद रहेगी। उन्होंने बिज़नेस को सिर्फ बिज़नेस नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी के रूप में देखा। ये ज़िम्मेदारी सिर्फ प्रॉफिट्स की नहीं थी, बल्कि समाज के प्रति भी थी।

आज जब टाटा के शेयरों पर सबकी नजर है, तो ये एक अच्छा वक्त है कि निवेशकों को रतन टाटा के उस विजन को याद करना चाहिए। मार्केट कभी ऊपर जाता है, कभी नीचे, लेकिन जो कंपनियां अपनी कोर वैल्यूज पर खड़ी होती हैं, उनका भविष्य हमेशा ब्राइट होता है। टाटा ग्रुप ने अपनी लेगेसी हमेशा एथिक्स, ट्रस्ट और क्वालिटी पर बनाई है, और ये क्वालिटीज कभी फेल नहीं होती।

रतन टाटा के जाने से एक युग का अंत हो गया है। लेकिन उनका विजन और उनकी कंपनियां आज भी अपनी जगह बनाए हुए हैं। निवेशकों को ये समझना चाहिए कि टाटा ग्रुप का भविष्य अभी भी मजबूत है, और लॉन्ग-टर्म में जो लोग इस पर दांव लगाएंगे, उनका फायदा ही होगा। तो अब जब मार्केट में लोग डर रहे हैं, ये समय है थोड़ा सब्र और विश्वास दिखाने का। रतन टाटा ने जो लेगेसी छोड़ी है, वो सिर्फ प्रॉफिट्स के लिए नहीं थी, वो देश के विकास के लिए थी। और जब तक टाटा ग्रुप की नींव में उनके मूल्य हैं, निवेशकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।

   
           
   
               
           

मैं financegroww.com का लेखक हूं और मुझे शेयर मार्केट के बारे में जानना और लोगों को आर्टिकल के माध्यम से खबरें देना पसंद है। मुझे इस फील्ड में 3 सालों का एक्सपीरियंस है और मैं सिर्फ मार्केट की ताज़ा खबरों के ऊपर आर्टिकल लिखता हूं और मैं कोई फाइनेंशियल एडवाइजर नहीं हूं।

   

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